हर्ष इस बात पर की सिंदरी में हर्ल का लोकार्पण हुआ। हर्ल में रोजगार व नियोजन में स्थानीय के संबंध में प्रधानमंत्री का कोई वक्तव्य नही आना पीड़ादायक है। सिंदरी के लोग सिर्फ धूल फांकेगे और किसी रासायनिक दुर्घटना के आशंका और डर में जिएंगे। अभी तक अस्थायी रूप से संवेदक के अधीन लगभग मात्र 15% स्थानीय मजदूर काम कर रहे है। जबकि हर्ल में सीधा नियोजन में स्थानीय शून्य के बराबर है । ये सिंदरी के लिए दुर्भाग्य की बात है।
2013 में मोदी जी का वादा था 2 करोड़ बेरोजगारों को प्रतिवर्ष रोजगार, सभी के खाते में 15 लाख । कुछ मिनटों या घंटो के भाषण से लोग अब दिग्भ्रमित होने वाले नहीं है । सालों भर 365 दिन तक लोग जिस वास्तविकता देखते है उसी के अनुसार निर्णय लेंगे । अब लोग नौटंकी समझ चुके है । नाटक वास्तविकता से परे होता है।
लोग अब समझ चुके है धर्म और उपासना से पेट नहीं भरता है और भूखे पेट भक्ति नहीं होती । दूसरी ओर विगत 25 मई 2018 को हर्ल के शिलान्यास के प्रधानमंत्री के कार्यक्रम में जिला कृषि फार्म को पार्किंग के लिए उपयोग किया गया था । जिला कृषि फार्म बलियापुर 25 मई 2018 से ही बंजर पड़ा हुआ है उसकी सुध लेने की जरूरत न पीएम मोदी को हुई और न ही हर्ल प्रबंधन को।
कृषि उपज के लिए एक मात्र फार्म को भी नष्ट कर दिया गया ।
इसकी जवाबदेही मोदी सरकार व हर्ल प्रबंधन को लेनी होगी।