हिंदी,भारत की राष्ट्रीय भाषा ,हमारे देश की विविधता का प्रतीक है हमारे समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर का भी प्रतीक है, पर पखवाड़ा के नाम पर देश में सिर्फ फंड की बंदरबाट होती हैं

नयी दिल्ली : एक भाषा के रूप में हिंदी न सिर्फ भारत की पहचान है बल्कि यह हमारे जीवन मूल्यों, संस्कृति एवं संस्कारों की सच्ची संवाहक, संप्रेषक और परिचायक भी है। बहुत सरल, सहज और सुगम भाषा होने के साथ हिंदी विश्व की संभवतः सबसे वैज्ञानिक भाषा है जिसे दुनिया भर में समझने, बोलने और चाहने वाले लोग बहुत बड़ी संख्या में मौजूद हैं। यह विश्व में तीसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है जो हमारे पारम्‍परिक ज्ञान, प्राचीन सभ्‍यता और आधुनिक प्रगति के बीच एक सेतु भी है।
हिंदी दिवस हर साल 14 सितंबर के दिन मनाया जाता है। राष्ट्रीय हिंदी दिवस भारत में हिंदी को आधिकारिक दर्जा मिलने की खुशी में मनाया जाता है।
हिंदी दिवस का महत्व
हिंदी दिवस का महत्व भारत में भाषा, साहित्य, और संस्कृति के प्रति गहरी भावना और समर्पण का प्रतीक है। हिंदी दिवस को हर साल 14 सितंबर को मनाया जाता है, क्योंकि पंडित जवाहरलाल नेहरू ने इसी दिन 1949 में हिंदी को भारत की राजभाषा के रूप में स्वीकार किया था। इस दिन का महत्व निम्नलिखित कारणों से होता है:
भारत में एकता और हिंदी दिवस
हिंदी दिवस भारत के एकता और एकजुटता का प्रतीक है। हिंदी भाषा भारत की विविधता को एक साथ लाने में मदद करती है और भारतीय संगठन को एक बनाने का काम करती है। हिंदी भाषा भारतीय समाज में एकता और एकजुटता को संजीवनी बनाती है और देश के विभिन्न हिस्सों में रहने वाले लोगों को एक साथ लाती है।
राष्ट्रीय भाषा
हिंदी दिवस के माध्यम से यह संदेश दिया जाता है कि हिंदी भारत की राष्ट्रीय भाषा है और इसका महत्व है। भारतीय संविधान में हिंदी को भारत की राजभाषा के रूप में स्वीकार किया गया है। इसका मतलब है कि सरकारी दस्तावेजों, संविधान, कानून, और अन्य सरकारी दस्तावेजों में हिंदी का प्रयोग किया जाना चाहिए। इसके साथ ही, सरकार ने भारत के अन्य भाषाओं का समर्थन भी किया है।
साहित्य और कला का प्रमोशन
हिंदी दिवस के अवसर पर हिंदी साहित्य और कला को प्रमोट किया जाता है। इस दिन साहित्यकार, कवि, और कलाकारों के योगदान को महत्वपूर्ण बनाया जाता है।
भाषा की समृद्धि
हिंदी दिवस के माध्यम से हिंदी भाषा की उन्नति और समृद्धि को प्रोत्साहित किया जाता है, जिससे भाषा के साथियों की ग्रामर, शब्दावली, और उच्चारण में सुधार होता है।
शिक्षा में भाषा का महत्व
हिंदी दिवस के अवसर पर शिक्षा के क्षेत्र में भी हिंदी की महत्वपूर्ण भूमिका होती है, और इसके माध्यम से छात्रों को हिंदी भाषा के प्रति अधिक उत्साहित किया जाता है।
भाषा का समाज में महत्व
हिंदी दिवस से लोगों को भाषा के महत्व की समझ और सच्चे गर्व की भावना आती है, जो एक समृद्धि और एकता की ओर प्रबलता है।
इन कारणों से हिंदी दिवस भारतीय समाज के लिए एक महत्वपूर्ण और गौरवशाली दिन होता है जो हिंदी भाषा के महत्व को स्वीकारने और प्रमोट करने में मदद करता है।
हिंदी भाषा का महत्व
हिंदी भाषा भारत की आधिकारिक राष्ट्रीय भाषा है। हिंदी भाषा भारत की सांस्कृतिक और लिंग भेदभाव को पार करती है और समाज में एकता का रूप धारण करती है। यह एक साथ भाषा की माध्यम से लोगों को जोड़ती है, चाहे वो विभिन्न क्षेत्रों, जातियों, धर्मों, और समुदायों से हों। साथ ही, सरकारी संगठनों और कामकाज में हिंदी का प्रयोग होता है, जिससे भाषा का सामाजिक और आर्थिक महत्व बढ़ता है। इसके आलावा, हिंदी भाषा का प्रयोग सरकारी स्थानों में आधिकारिक भाषा के रूप में भी होता है। हिंदी भाषा के माध्यम से भारतीय साहित्य, कला, और संस्कृति का प्रचार और प्रसार होता है। यह लोगों को उनकी सांस्कृतिक पहचान के साथ जोड़ती है और समाज में अद्भुत विविधता को संरक्षित रखने में मदद करती है।
हिंदी दिवस क्या है?
हिंदी दिवस हर साल 14 सितंबर को मनाया जाने वाला एक भारतीय त्योहार है। इसे भाषा और साहित्य के महत्व को मनाने के रूप में मनाया जाता है।
हिंदी दिवस का महत्व क्या है?
हिंदी दिवस का महत्व यह है कि इसके माध्यम से हम अपनी राष्ट्रीय भाषा के महत्व को समझते हैं और इसे प्रोत्साहित करते हैं। यह भाषा भारतीय समाज की विविधता को दर्शाती है और राष्ट्रीय एकता का प्रतीक है।
हिंदी दिवस कैसे मनाया जाता है?
हिंदी दिवस के मौके पर विभिन्न स्कूल, कॉलेज, सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जैसे कि कविता पाठ, भाषण, साहित्यिक प्रस्तुतियां और गीत-नृत्य।
हिंदी दिवस का इतिहास क्या है?
हिंदी दिवस का आयोजन पहली बार 1953 में हुआ था, जब भारत सरकार ने हिंदी को देश की राष्ट्रीय भाषा के रूप में मान्यता दी।
हिंदी दिवस की तारीख क्यों 14 सितंबर है?
हिंदी दिवस की तारीख 14 सितंबर है क्योंकि इस दिन महात्मा गांधी ने 1949 में दक्षिण भारतीय राजभाषा कमीशन को गठित किया था, जिसका उद्देश्य था हिंदी को भारत की राजभाषा के रूप में प्रमोट करना।

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