ट्रेन लाइटिंग और वातानुकूल विभाग के कर्मचारियों के बीच खुशी की लहर।
यह उपलब्धि ईसीआरकेयू के शीर्ष नेतृत्व और रेलकर्मियों के संघर्ष का सुफल - मो ज़्याऊद्दीन
धनबाद ईस्ट सेंट्रल रेलवे कर्मचारी यूनियन के संघर्ष तथा रेलकर्मियों के सतत आंदोलन के फलस्वरूप जोनल रेलवे प्रशासन ने ट्रेन लाईटिंग एवं वातानुकूलित विभाग को विद्युत सामान्य विभाग के अन्तर्गत करने के आदेश मंगलवार को जारी कर दिया गया। यह ज्ञात हो कि पूर्व में ट्रेन लाईटिंग एवं वाताकूलन विभाग विद्युत सामान्य विभाग का अंग हुआ करता था लेकिन बाद में रेलवे बोर्ड ने इस विभाग को विद्युत सामान्य से हटा कर मैकेनिकल शाखा के सवारी एवं मालडिब्बा ( कैरेज एवं वैगन) के नियंत्रण में करने के निर्देश दिए थे । इस प्रकार विभाग परिवर्तन कर दिए जाने से ट्रेन लाईटिंग एवं वाताकूलन विभाग के कर्मचारियों को जहाँ एक ओर अपने दैनिक कार्यों को करने में काफी परेशानी हो रही थी वहीं दूसरी ओर मैकेनिकल के सुपरवाइजर्स के लिए विद्युत के कार्यों के तकनीकी दक्षता नहीं होने के कारण ट्रेन लाईटिंग एवं वाताकूलन विभाग के कर्मचारियों को अनुदेशित और कार्य नियंत्रण करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा था।
ईसीआरकेयू के अपर महामंत्री सह धनबाद मंडल के पी एन एम प्रभारी मो ज़्याऊद्दीन ने उक्त जोनल आदेश के जारी होने पर संबंधित विभाग के कर्मचारियों को बधाई देते हुए बताया कि रेलकर्मियों की परेशानियों के मद्देनजर ही एआईआरएफ ने रेलवे बोर्ड से ट्रेन लाईटिंग एवं वाताकूलन विभाग को वापस विद्युत सामान्य विभाग के अंतर्गत करने के लिए आग्रह किया था जिसके बाद इस मामले में व्यापक चर्चा के बाद रेलवे बोर्ड ने वर्ष 2019 में इस विभाग को वापस अपने पहले के विभाग द्वारा नियंत्रण करने के निर्देश जारी किए थे। लेकिन जोनल स्तर पर उच्च पदाधिकारियों के उपेक्षा के कारण अभी तक इसका अनुपालन नहीं किया जा सका था।
उन्होंने कहा कि ईसीआरकेयू के महामंत्री एस एन पी श्रीवास्तव तथा अध्यक्ष डी के पाण्डेय द्वारा निरंतर महाप्रबंधक स्तर पर होने वाले बैठकों में इस दिशा में आदेश जारी करने का आग्रह किया जाता रहा है और अंततः मंगलवार को इस आदेश के जारी होते ही समस्त ट्रेन लाईटिंग एवं वाताकूलन विभाग के कर्मचारियों के बीच खुशी की लहर दौड़ गई। ईसीआरकेयू धनबाद क्षेत्र के नेताजी सुभाष,सोमेन दत्ता,एन के खवास, बीके दुबे,जे के साव,चंदन शुक्ला,पीके सिन्हा,बीबी सिंह,इंद्र मोहन सिंह,बीके साव,परमेश्वर कुमार और रुपेश कुमार ने इस उपलब्धि ईसीआरकेयू के शीर्ष नेतृत्व और रेलकर्मियों के संघर्ष का सुफल बताया है।