समावेशी शिक्षा के झरिया रिसोर्स सेंटर के तत्वावधान में सोमवार को 3 से 18 वर्ष के दिव्यांग बच्चों की पहचान के लिए झरिया के खपड़ा धौड़ा में डोर टू डोर सर्वेक्ष अभियान चलाया गाय । रिसोर्स सेंटर के फिजियोथैरेपिस्ट डॉ मनोज सिंह एवं स्पेशल एजुकेटर अखलाक अहमद के द्वारा खपडा धौड़ा बस्ती में घर घर जा कर चलने, बोलने, सुनने, समझने, एवं देखने एवं देखने में परेशानी वाले दिव्यांगता के 12 बच्चों की पहचान की गई ।
फिजियोथेरेपिस्ट डॉ मनोज सिंह ने कहा कि डोर-टू-डोर सर्वे में सेरेब्रल पाल्सी, पूर्ण दृष्टिबाधित, अल्प दृष्टिबाधित, क्रोनिक न्यूरोलाजिकल, श्रवण बाधित, अस्थि दिव्यांग, वाक् व भाषा दिव्यांग, कुष्ठ रोग से ठीक हुए दिव्यांग बच्चे, बौद्धिक व मानसिक दिव्यांग, थेलेसिमिया से प्रभावित, मल्टीपल स्क्लेरोसिस, मस्क्यूलर डिस्ट्राफी, विशिष्ट अधिगम दिव्यांग, बौनापन, एसिड अटैक, सिकल सेल डिसआर्डर, हिमोफीलिया एवं बहुदिव्यंगता वाले बच्चों सहित दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम में वर्णित सभी 21 प्रकार के दिव्यांगता के बच्चों को चिह्नित किया जा रहा है।
स्पेशल एजुकेटर अखलाक अहमद ने कहा कि प्रतिवर्ष विद्यालय के पोषक क्षेत्र में रहने वाले दिव्यांग बच्चों का सर्वेक्षण कर इनकी दिव्यांगता की पहचान की जाती है । यदि किसी के घर या बस्ती में इस तरह के 3 से 18 वर्ष के बच्चे हों तो इसकी जानकारी नजदीक के आंगनवाड़ी केन्द्र या सरकारी विद्यालय को दें । पूर्व में पुनर्वासित बच्चों को देखकर नए बच्चे भी रिसोर्स सेंटर से जुड़ने हेतु उत्साहित हो रहे हैं ।