गोविंदपुर का एक गांव ऐसा भी जहां 20 वर्षों से ना तो बिजली है और ना ही शिक्षा के लिए स्कूल है

धनबाद गोविंदपुर प्रखंड के पांडूकी पंचायत में एक गांव ऐसा भी है जहां लगभग 20 सालों से बिजली नहीं पढ़ाई के लिए स्कूल नहीं ना उसे गांव में एक भी पक्के की मकान है और ना ही इन ग्रामीणों का कोई अपना जमीन भी है यहाँ के ग्रामीण लगभग 20 वर्षों से सरकारी जमीन पर झुकी झोपड़ियां बनाकर रह रहे हैं और दिहाड़ी मजदूर कर अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं लगातार तीन दिनों की बारिश से कई घरों की मिट्टी की दीवार गिर गई जरा सोच कर देखिए जहां पूरा शहर बिजली से चकाचौंध है बात डिजिटल इंडिया बनाने की की जाती है वही इस गांव में लगभग 20 वर्षों से बिजली नहीं है यहां के ग्रामीण ढीब्री मोमबत्ती के सहारे जिंदगी गुजारने को मजबूर हैं वहीं ग्रामीण गांव के सुखी.लकडी.के सहारे चूल्हे में खाना पकाते हैं विगत कुछ साल हुए पानी के लिए सोलर के सहारे टैंक लगा दी गई है लेकिन सरकारी सुविधाओं के नाम पर यह गांव आज भी सुविधाओं से वंचित है ऐसी स्थिति में ग्रामीणों का कहना है कि लगभग 20 वर्षों से इसी तकलीफ में जिंदगी गुजर रहे हैं इस गांव में लगभग 30 से 35 झुग्गी झोपड़ियां है ग्रामीण वासी कहते है कि स्थानीय जनप्रतिनिधियों को खासकर जिला परिषद 13 के एजाज मलिक हो या फिर पंचायत के मुखिया अख्तर अंसारी हो या प्रखंड के प्रखंड विकास पदाधिकारी हो तमाम लोगों तक गुहार लगाने के बाद भी उनको अब तक सुविधा जितनी मिलनी चाहिए उतनी नहीं मिल सकी सिर्फ वोट के समय ही उनकी याद आती है ग्रामीण बताते हैं उनके पास अपना आधार कार्ड है राशन कार्ड है लेकिन ना अपनी जमीन है और ना ही उतना पैसा है के मकान बना सके झुकी झोपड़ियां के सहारे 20 वर्षों से लगातार रहते आ रहे हैं जिन बच्चों को देश का भविष्य कहा जाता है आज वही बच्चे शिक्षा से कोसो दूर हैं ना तो उसे गांव में आंगनबाड़ी की सुविधा है और नहीं ग्रामीणों के पास उतना पैसा है कि अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दे पाए ग्रामीणों का यह भी कहना है कि प्रखंड कार्यालय हो मुखिया हो उससे जुड़ी हुई तमाम जनप्रतिनिधि हो कई बार उनको अपने तकलीफ हो से अवगत कराया गया लेकिन अब तक कोई पहल होती हुई नहीं दिखाई दे रही है

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